AI और ऑनलाइन स्टॉकिंग का खतरा: एक तस्वीर से भी उजागर हो सकती है आपकी लोकेशन
F-Secure की एक नई रिपोर्ट ने डिजिटल दुनिया के एक बेहद चिंताजनक पहलू की ओर इशारा किया है — AI अब किसी भी साधारण तस्वीर से आपकी सटीक लोकेशन का अनुमान लगाने में सक्षम होता जा रहा है। यह न केवल तकनीक की ताकत दिखाता है, बल्कि इसका संभावित दुरुपयोग कितना गंभीर हो सकता है, यह भी उजागर करता है।
सिर्फ एक फोटो काफी है
रिपोर्ट के मुताबिक, यदि कोई फोटो सोशल मीडिया पर साझा की जाती है — जिसमें कोई सड़क, इमारत, साइनबोर्ड, पेड़-पौधे या कोई भी आम दृश्य शामिल हो — तो आज के AI टूल्स उस फोटो का विश्लेषण कर बहुत हद तक सटीक लोकेशन का अनुमान लगा सकते हैं।
ये वही AI मॉडल हैं जिन्हें हम अक्सर इमेज जनरेशन या ट्रैवल रेकमेंडेशन के लिए इस्तेमाल होते देखते हैं, लेकिन अब इनका इस्तेमाल निगरानी और ट्रैकिंग के लिए भी किया जा सकता है।
ऑनलाइन स्टॉकिंग को मिल रहा है नया रूप
पहले ऑनलाइन स्टॉकिंग का मतलब था किसी की प्रोफाइल देखना, पोस्ट फॉलो करना या कॉन्टैक्ट डिटेल्स की जानकारी जुटाना। लेकिन अब AI की मदद से स्टॉकिंग करने वाले व्यक्ति को सिर्फ एक तस्वीर चाहिए — और वह जान सकता है कि वह तस्वीर कहां ली गई थी।
यह तकनीक अब आम यूज़र्स के हाथ में है, और यही इसे और भी खतरनाक बनाता है।
आपकी निजता पर सीधा खतरा
यह एक उदाहरण है कि कैसे AI का दुरुपयोग आपकी निजी ज़िंदगी तक पहुंच बना सकता है।
अगर आप सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर नियमित रूप से अपनी तस्वीरें साझा करते हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि कोई अनजान व्यक्ति, आपके पोस्ट में मौजूद बारीकियों को पढ़कर यह समझ सकता है कि आप कहां रहते हैं, कहां घूम रहे हैं, और कब किस जगह थे।
क्या कर सकते हैं आप?
तस्वीर साझा करते समय सतर्क रहें — पृष्ठभूमि में आने वाली जानकारी, जैसे गली के नाम, स्कूल या ऑफिस का बोर्ड, खास इमारतें — ये सब स्टॉकर्स के लिए क्लू बन सकते हैं।
- लोकेशन डेटा हटाएं — कई तस्वीरों में GPS आधारित मेटाडेटा जुड़ा होता है। शेयर करने से पहले उसे हटा देना ज़रूरी है।
- प्राइवेसी सेटिंग्स बदलें — सुनिश्चित करें कि आपके सोशल मीडिया पोस्ट्स केवल भरोसेमंद लोगों तक ही सीमित हों।
- AI टूल्स की जानकारी रखें — यह जानना ज़रूरी है कि कौन-कौन से सार्वजनिक AI टूल्स उपलब्ध हैं और वे कैसे काम करते हैं।
निष्कर्ष
AI की बढ़ती क्षमता जहां एक ओर जीवन को सरल बना रही है, वहीं दूसरी ओर गोपनीयता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल भी खड़े कर रही है।
F-Secure की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि डिजिटल फोटो अब सिर्फ यादें नहीं, बल्कि निगरानी का माध्यम भी बन सकती हैं।
इसलिए ज़रूरत है — जागरूक रहने की, सावधानी बरतने की, और अपनी डिजिटल आदतों की समीक्षा करने की।